प्रयागराज. अमेठी के डॉ. रमाकांत क्षितिज के अवधी कविता संग्रह ' उम्मीद कय दियाँ ' का विमोचन संत श्री अप्रमेय प्रपन्नाचार्य के हाथों उगते सूर्य की किरणो के बीच मां गंगे की गोद में महाकुम्भ मेला में सम्पन्न हुआ. कुम्भ मेले में मां गंगे की गोद में पुस्तक के विमोचन को लेकर श्रद्धालुओं में उत्सुकता दिखी. उपस्थित लोगों ने इस प्यारे अनोखे विमोचन की सराहना भी की. डॉ क्षितिज ने इसे अपने जीवन की बड़ी उपलब्धि कही. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व डॉ. रमाकांत क्षितिज की कई रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कहानी संग्रह, लघु कहानी संग्रह, काव्य संग्रह, संस्मरण औऱ रिपोर्टज़ शामिल हैं.अमेठी उत्तर प्रदेश की मूल निवासी क्षितिज कल्याण मुंबई में रहते हुये हिन्दी के साथ अवधी भाषा में भी लिखते हैं. इसके पूर्व में भी संगम में नाव पर मंच बनाकर ' काश ! आठवीं संतान लड़की होती ' काव्य संग्रह का विमोचन कर चुके हैं. आप के कहानी संग्रह ' जीवन संघर्ष ' को महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिल चुका है. इस अवसर पर रामचंद्र दुबे, शशिकांत तिवारी, भानुमती तिवारी, संगीता तिवारी,श्रीकांत तिवारी,मानसी तिवारी, अजीत मिश्र, पंडित अमर आदि उपस्थित रहे. अनेक संत महात्माओ व साहित्य प्रेमियों के बीच हुआ यह विमोचन लोगों में चर्चा के साथ कौतूहल का विषय बन गया . कान्हा जी, मां गंगे, तीर्थराज प्रयाग के साथ संत महात्माओं एवं संत श्री अप्रमेय प्रपन्नाचार्य के साथ उपस्थित सभी साहित्य प्रेमी जनों व भक्तों के प्रति डॉ.रमाकांत क्षितिज ने आभार व्यक्त किय
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