उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आयोजित 12 दिवसीय दीपावली शिल्प मेले में देश के कोने- कोने से शिल्पकार हस्तनिर्मित स्टाल लगाए हैं, वही दूसरी ओर सुमग संगीत, गायन, वादन व लोकनृत्यों की प्रस्तुति एक छतरी के नीचे प्रयागवासियों को देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक संध्या की दूसरी शाम ब्रज के लोकनृत्यों के नाम रही। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत मीरजापुर से आयी फगुनी देवी व साथी कलाकरों ने बिरहा गायन से की। "सुंदर शुघर सुहावन मीरजापुर तस्वीरीया छलकत बा, "रामायण से गोदिया लखन के उठाई दुलार करें राम रघुराई" की प्रस्तुति दी। इसके बाद नितिन सिंह एवं दल ने "राम है जीवन कर्म है श्याम मत कर तू अभिमान रे बंदे" तथा "एरी सखी मंगल गाओ री, धरती अम्बर सजाओ री" की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खूब तालियां बटोरी। मथुरा से पधारे दीपक शर्मा ने बृज वंदना "बृज चौरासी कोस में चार धाम, निज गांव वृंदावन" तथा "एक दिन श्री कुमार राधिका मोर कुटी आयी मयूरन को देखन" गीत पर मयूर नृत्य की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही पायी। संगत कलाकरों में कोरस पर मोहित कुमार, हरमोनिया पर कुलदीप प्रकाश, ढोलक पर मिठाई विश्वकर्मा, मंजीरा पर रामजतन वर्मा साथ दिया। कार्यक्रम का संचालन आभा मधुर ने किया।
लोगों को लुभा रहा शिल्प मेला
दीपावली शिल्प मेले में लगे 114 स्टॉल लोगों को लुभा रहे हैं। कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स, भागलपुरी कलमकारी, मधुबनी साड़ी और सूट, हरिद्वार की जड़ी-बूटी, कर्नाटक के खिलौने, सजावटी सामान, दिल्ली के हैंडी क्राफ्ट और जर्मन सिल्वर-कॉपर की आर्टिफिशियल ज्वैलरी के स्टॉल पर खासी भीड़ रही। खाने-पीने के साथ ही लोग हरियाण व राजस्थान के मैदानी कलाकारों की कला का आनंद ले रहे हैं।

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