विकास व लाभकारी योजनाएं लेकर उतरें धरातल पर, हवा में न रहें
 
शिव कुमार प्रजापति ✍️
शाहगंज जौनपुर।उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम कियें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दूसरा कार्यकाल लगभग आधा बीत रहा है। जो की उत्तर प्रदेश के इतिहास में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में मतदाताओं का भरोसा ज्यादा जुड़ा हुआ है। परंतु उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में भाजपा की कम हुई सीटें केंद्रीय नेतृत्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या मात्र पार्टी के बैनर तले योजनाओं का पोस्टर वार से विजय हासिल किया जा सकता है। या परियोजनाओं की अधिकारियों के साथ समीक्षा से मात्र बेरोजगारी दूर हो जाएगी। अक्सर सोशल मीडिया पर जन प्रतिनिधियों ने अपनी बात, पार्टी फोरम से हटकर उठाना शुरू कर दिया था। की अधिकारी जनप्रतिनिधियों को अनदेखी करते हैं। धरातल पर उतरकर जनता से संवाद करिए उन्हें लाभकारी योजनाएं और विकास के कार्यों को बताइए जो पात्र हैं उन्हें लाभ दिलाने में सहयोग करें हवा में ना रहे। जो सुझाव व समस्या हो उसे बताइए उनका गंभीरता से निस्तारण किया जाएगा जी हां यह सुझाव और चेतावनी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हैं। जो कि लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद विभिन्न मंडलों में समीक्षा बैठक के दौरान कहते देखे गए और विधानसभाओं के विधायकों से यह पूछते देखा गया कि वोट कम होने का क्या कारण रहा। भाजपा का वोट विपक्ष में कैसे कन्वर्ट हो गया। किसी ने संविधान को लेकर विरोधियों की झूठी अफवाह तो किसी ने गरीबों के खाते में विपक्षियों द्वारा बयान बाजी की बात कही। और कुछ विधायकों ने सांसद प्रत्याशी एवं सांसद की छवि ठीक नहीं होने की बात दोहराई। जो असंतोष का कारण बना। लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता पक्ष के पदाधिकारी यह कहते देखे गए कि विपक्षियों द्वारा वोटर लिस्ट से नाम डिलीट करने का खेल हुआ है। जिसको लेकर मतदान के दिन की बजाय अभी से वोटर लिस्ट को लेकर सक्रिय हो जाएं और सजग हो जाइए। अभी से सक्रिय होने का निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से देते-देखे गए। जौनपुर के बदलापुर के विधायक रमेश मिश्रा जनप्रतिनिधियों के साथ योगी की बैठक में भी किनारा करते देखे गए। आखिर आम जनमानस की मूलभूत सुविधाएं चिकित्सा सड़क बिजली पानी एवं तहसील और थाने यहीं से प्राप्त होती हैं। परंतु सरकारी आंकड़ा जरूर अपने कलम से अपना मनोबल बढाता हो। परंतु धरातल पर संकेत बिल्कुल उल्टा है।बिजली बिल की महगाई ने उपभोक्ताओं की नशे निचोड़ दी है। जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में स्पष्ट देखा गया और दबे जुबान हो या खुल के जनप्रतिनिधियों ने भी थानों एवं तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितता पर आवाज़ उठाएं। तहसील में लेखपाल एवं कानूनगो द्वारा रिपोर्ट लगाने की प्रथा बहुत व्यापक हो चली है। जिसके कारण आम नागरिक एवं गरीब इंसाफ नहीं पा रहा है। जनपद जौनपुर में विगत दिनों पूर्व एक हत्या के बाद लेखपाल की रिपोर्ट चर्चा का विषय बना जब लेखपाल ने सरकारी तालाब को ही किसी की भूमि बना दिया। राशन कार्ड प्रति व्यक्ति एवं गरीबों का एक हक है परंतु कैंप एवं विज्ञापनों में राशन कार्ड बनवाने का आए दिन निर्देश एवं प्रचार होता है। परंतु हकीकत बिल्कुल उल्टा है। जिसके कारण आम नागरिक नया राशन कार्ड बनवाने के लिए दर-दर भटकते देखे जाते हैं। सुबे के मुख्यमंत्री का निर्देश भी अधिकारियों के लिए हवा हवाई ही दिखाई पड़ता है। फैमिली कार्ड लागू किए कई वर्ष बीत गए हैं। परंतु अभी जनपद स्तर पर भी इसकी कोई अभियान आंकड़ा नहीं है। और ऑनलाइन किए गए फैमिली कार्ड का तहसील के सक्षम अधिकारी कर्मचारी निरस्त कर देते हैं। ऐसे ही ज्वलंत मुद्दे उत्तर प्रदेश के आम जनमानस एवं मतदाताओं को अपने विचार बदलने पर मजबूर कर रहे हैं। लंबे समय से नौकरी की तैयारी एवं परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों की आस सत्ता पक्ष से अच्छे से जागी थी। परंतु वैकेंसी की सफलता न मिलने के कारण अपेक्षाएं टूटती गई ज्ञात हो कि पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा सहित करीब दर्जन भर परीक्षाएं पेपर लीक के चलते कैंसल हो चुकी हैं. 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले को यूपी का ‘व्यापमं घोटाला’ भी कहा जाता है। युवा परेशान हैं.उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने पिछले साल प्रतियोगी और शैक्षणिक परीक्षाओं से जुड़े प्रश्न पत्रों को लीक होने से रोकने और पेपर सॉल्वर गैंग पर लगाम लगाने के लिए एक कानूनी मसौदा तैयार किया था. इस प्रस्तावित कानून में 14 साल जेल और 25 लाख रुपये तक के ज़ुर्माने का प्रावधान है. पर कानून बनाने से जनता की समस्या का हल नहीं होता है. यही कारण रहा कि यूथ का वोट बीजेपी को नहीं मिला है।

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