किसान-मजदूर गणतंत्र परेड' की योजना हुई तैयार
आजमगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा आजमगढ़ के तत्वावधान में विभिन्न किसान संगठनों अ.भा. किसान महा सभा, किसान संग्राम समिति, जय किसान आंदोलन, भारतीय किसान यूनियन, जनमुक्ति मोर्चा, संयुक्त किसान मजदूर संघ, क्रांतिकारी किसान यूनियन, अ.भा. किसान सभा, जनवादी लोकमंच की बैठक अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में हुई। जिसकी अध्यक्षता रामराज और संचालन राजेश आज़ाद ने किया। बैठक में निर्णय हुआ कि संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, संघवाद, धर्म निरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों की सुरक्षा की प्रतिज्ञा के लिए 26 जनवरी 2024 को जिला स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा एवं अन्य संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज सहित तमाम किसान मजदूर संगठनो के झंडे लेकर 'किसान-मजदूर गणतंत्र परेड' करेंगे। इस परेड में सभी ट्रेड यूनियनों और छात्रों, महिलाओं, देशभक्त बुद्धिजीवियों को शामिल होने का भी आह्वान करेंगे। 'किसान मजदूर गणतंत्र परेड' और भारतीय संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठन के लिए आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तारीकरण परियोजना के खिलाफ खिरिया बाग में 467 दिन से जारी धरना स्थल को चुना गया है। किसान नेताओं ने 'किसान मजदूर गणतंत्र परेड' का रुट मंदुरी तिराहे, प्राथमिक विद्यालय जमुआ-हरिराम, ग्राम सचिवालय जमुआ-हरिराम से होकर खिरिया बाग धरना स्थल पर समापन बताया है। वक्ताओं ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा उत्पादक वर्ग किसान और मजदूर हैं लेकिन कार्पोरेट घरानों के अतिमुनाफ पहुंचाने के लिए सरकार किसान-मजदूर विरोधी नीतियां लागू कर रही है। भारत का दो तिहाई हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है व आधा भारत खेती करता है। 2020 के कोरोना लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार कॉर्पोरेट और बहु राष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में 3 कृषि कानूनों को लेकर आई थी। यह कानून वैधानिक रूप से बड़े कॉरपोरेट्स को खेती के तरीकों, लागत कीमतों व कृषि सेवाओं, मंडियों और बिक्री मूल्यों, कृषि भंडारण एवं प्रसंस्करण तथा खाद्य बाजारों को नियंत्रित करने का अधिकार देते थे। जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगे कानूनी प्रतिबंध को भी इनके द्वारा हटाया जा रहा था। किसानों ने इनके विरुद्ध संघर्ष किया और भारत सरकार को लिखित समझौते के तहत एक समिति गठित कर स्वामीनाथन फार्मूले सी2+50% के अनुसार सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के समाधान पर विचार करने; 'भारी शुल्क और प्रीपेड मीटर लगाने वाले बिजली बिल को वापस लेने; किसानों की कर्जमुक्ति; किसान आंदोलनकरियों पर थोपें गये मुकदमे वापस करने; शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा देने; मंत्री अजय टेनी समेत लखीमपुर नरसंहार के दोषियों को सजा देने का वादा करने पर मजबूर किया था। जो आज भी अधूरे है और किसानों के संकट लगातार बढ़ रहे है।लोगों को विरोध की आवाज़ उठाने से रोकने के लिए इसने पहले से ही झूठे मामलों, यूएपीए और एनए- सए लगाने, अंधाधुंध ईडी एवं अन्य पूछताछ, प्रेस की स्वतंत्रता का दमन, लोगों के खिलाफ अदालती कार्यवाही में हेरफेर आदि जैसी कई बाधाएँ खड़ी कर दी हैं। बैठक में चंद्रधारी, दुखहरन राम, जयप्रकाश नारायण, रामकुमार यादव, राजेश आज़ाद, राजनेत यादव, अवधराज यादव, रामराज, दानबहादुर मौर्य आदि उपस्थित थे।
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