✍️शिव कुमार प्रजापति
शाहगंज जौनपुर । निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। नामांकन प्रक्रिया पूरे प्रदेश में शुरू हो चुकी है। ऐसे में वर्ष 1857 में नगर के विकास को गति देने की मंशा से शाहगंज टाउन फंड का गठन किया गया था और 1978 में शाहगंज को नगर पालिका परिषद का दर्जा प्राप्त हुआ। उसके बाद से 1978 में खींची शाहगंज नगर पालिका, एरिया क्षेत्र का सीमा आज भी कुल मतदाता 24364 यानी पुरुष 12814 महिला 11550 मतदाता के साथ जनपद की सबसे बड़ी तहसील की नगर पालिका शाहगंज सीमित है। यह आश्चर्य की बात है कि 165 वर्ष बीत जाने के बाद भी शाहगंज नगर पालिका परिषद सीमा विस्तार ना होने की वजह से एक बड़ी आबादी नगर की सुविधाओं से एवं सरकार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
2023 के निकाय चुनाव में शाहगंज नगर पालिका परिषद में वार्डों की संख्या 25 पहुंच गई है । वर्ष 1988 में पहली बार पार्टी के सिंबल से कांग्रेसी उम्मीदवार राम प्रसाद अग्रहरी चेयरमैन नियुक्त हुए थे। उसके बाद कांग्रेस का दौर खत्म हुआ और एक बार शाहगंज निकाय चुनाव में भाजपा ने अपनी पैठ बनाई और 1995 में जयप्रकाश गुप्ता ने कमल के चुनाव चिन्ह पर विजय हासिल की। उसके बाद अगले चुनाव वर्ष 2000 में जय प्रकाश गुप्ता ने अपनी पत्नी सुमन गुप्ता को मैदान में भाजपा के टिकट से उतारा और परचम फहराया। भाजपा की जीत का यह क्रम लगातार अगले चुनाव 2006 में भी बरकरार रहा। सुमन गुप्ता का टिकट भाजपा ने काट दिया। तो 2006 में ओम प्रकाश जयसवाल ने निकाय चुनाव में कदम रख। और ओमप्रकाश ने भाजपा की थैली में जीत हासिल कर सौपा।
2012 में सीट समान्य होने के कारण भाजपा ने नीलम नंदन अग्रहरी पर अपना भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा। परंतु इस वर्ष भाजपा को तगड़ा झटका लगा और नीलम नंदन चुनाव हार गई और जीत का परचम सपा समर्थित निर्दल उम्मीदवार जितेंद्र सिंह के सिर पर खिला। माना जाता रहा कि भाजपा के तहखाने में खींचातानी बड़ी वजह रही।
अगले चुनाव में बसपा के टिकट पर मैदान में उतरी जितेन्द्र सिंह की पत्नी उषा देवी को गीता जयसवाल ने हराया। भाजपा एक बार फिर से शाहगंज नगर पालिका पर काबिज है। नगर पालिका की सीमा बमुश्किल बहुत ही सीमित है नगर पालिका परिषद की सीमा के विस्तार का प्रस्ताव शासन को विगत दिनों पहले भेजा गया था। इसमें भादी ताखा पूरब व ताखा पश्चिम, कौड़िया सुरिस सबरहद व नटौली गांव को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। जिस पर समस्त गांव के प्रधानों ने भी अपनी अनुमति प्रदान की थी। गौरतलब हो कि स्थानीय नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जाती रही है। जिसके कारण वर्तमान कुल मतदाता से ज्यादा मतदाता सीमा क्षेत्र के बाहर निवास करते हैं। लेकिन सीमा विस्तार ना हो पाने की वजह से अपने मूलभूत सुविधाओं से एक बड़ी आबादी वंचित है।
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