श्री राम कथा भवसागर से तारने वाली है व्यक्ति अमर होना चाहता है, लेकिन अमर होना किस काम का जिसमें आयु तो बहुत है परंतु परेशानियों से घिरा हुआ है।
श्री राम कथा भवसागर से तारने वाली कथा है। व्यक्ति अमर होना चाहता है लेकिन अमर होना किस काम का जिसमें आयु तो बहुत है। परंतु परेशानियों से घिरा हुआ है। अमृत वही सही है जिसके जीवन में सुख शांति हो और सुख शांति भगवान के सानिध्य से भक्ति से प्राप्त होती है। इसलिए भगवान का ध्यान मनन चिंतन भगवान की आराधना भगवान की कथा में अपने मन को ही हर समय लगाते रहना चाहिए।
तभी जीवन की सार्थकता है। उक्त बातें भारतीय नववर्ष के अवसर पर शाहगंज नगर के शाहपंजा स्थिति श्री राम जानकी मंदिर संगत जी में नवरात्रि के पावन पर्व पर श्री राम कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित श्री दुर्ग विजय मिश्र ने अपने प्रवचनों में कहीं, कथा व्यास पंडित दुर्ग विजय मिश्र ने श्री राम चरित मानस में कहा कि बड़े भाग्य मानुष तन पावा सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा मनुष्य का शरीर संसार में बड़ा दुर्लभ है बड़े भाग्य से यह शरीर हमें प्राप्त होता है और उस शरीर को हमें व्यर्थ नहीं करना चाहिए। यह शरीर हमें विषय भोग प्राप्त करने के लिए नहीं मिला है यह शरीर हमें भगवान को प्राप्त करने के लिए मिला है। भक्त गणों को झांकी के माध्यम से साक्षात लीला का दर्शन भी कराया जा रहा है। कथा के प्रथम दिवस बुधवार को कथा व्यास पंडित दुर्ग विजय मिश्र का भव्य स्वागत चुनरी एवं माल्यार्पण कर किया गया। उक्त अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी अनिल कुमार मोदनवाल भुवनेश्वर मोदनवाल, संदीप, अशोक, सुशील सेठ, दीपक मिश्र, ऋषि, सतीश मोदनवाल, आनंद सेठ, श्रीप्रकाश पांडे आदि काफी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।
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