रिपोर्ट पदमाकर पाठक


ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समानांतर खिरिया बाग में हुई लेबर-फार्मर समिट

लखनऊ में निवेश का महाकुंभ नहीं, महालूट की हो रही साजिश

पूजीपतियों ने दुनिया को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है

*आज़मगढ़।* 10 फरवरी खिरिया बाग संघर्ष के 121 वें दिन ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समानांतर लेबर-फार्मर समिट हुई। जन आंदोलन के नेता वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह, समान शिक्षा आंदोलन से जुड़े किसान नेता चतुरानन ओझा, वरिष्ठ कहानीकार हेमन्त कुमार ने धरनारत ग्रामीणों को संबोधित किया। जब देश को बेचने की सौदेबाजी सूबे की राजधानी में हो रही है तो उसी वक़्त खिरिया बाग से किसान-मजदूर ऐलान कर रहा है कि जमीन का सौदा नहीं करने देंगे। किसान जब जमीन देने को तैयार नहीं है तो अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की परियोजना को सरकार जल्द से जल्द रदद् करे। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की परियोजना के लिए न किसान आज जमीन देगा और न कल देगा। जन आंदोलन के नेता वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह ने कहा कि ये कौन सा विकास है जिससे लोग गरीब होते जा रहे हैं। लखनऊ में निवेश का महाकुंभ नहीं महालूट की साजिश रची जा रही है। कुशीनगर में 12 साल पहले एयरपोर्ट की कवायद शुरू हुई। प्रधानमंत्री ने 17 महीने पहले उद्घाटन किया पर आजतक सुचारू रूप से उड़ान तक नहीं हो पाई अब उसे भी पूजीपतियों के हवाले किये जाने की कोशिश है। कानून को दरकिनार कर जमीन की लूट परियोजना चलाई जा रही है। विकास के नाम पर लाखों हेक्टेयर भूमि हड़पी जा चुकी है। ये इतनी बड़ी जमीन है जितना कि बांग्लादेश का क्षेत्रफल है। अन्नदाता की जमीन छीनकर उसे ठेला-रिक्सा चलाकर विकास का सपना दिखाया जा रहा है। 25 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट की योजना सरकार की है। इन इन्वेस्टर की वजह से खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. जमीन की लड़ाई भूख से बचाने की लडाई है। भूमि अधिग्रहण कानून साफ कहता है कि बहुफसली जमीनों को नहीं ले सकते हैं। कुशीनगर में मैत्रेय परियोजना के नाम पर जमीन छीनने की कोशिश हुई पर आज तक जमीन नहीं ले पाए ये किसानों-मजदूरों की ताकत है। जमीन किसानों-मजदूरों का सम्मान हैं। समान शिक्षा आंदोलन से जुड़े किसान नेता चतुरानन ओझा ने कहा कि महिलाओं की उपस्थिति जीत की गारंटी है। लखनऊ में गिद्ध इकट्ठे हुए हैं। आपकी जमीन लूटने के लिए दुनिया के पूजीपतियों से सरकार की क्यों यारी है। हम इसलिए जी ले रहे हैं कि हमारे पास जमीन है। कृषि नीति, शिक्षा नीति, चिकित्सा नीति ऐसी सरकार की कौन सी नीति है जिससे हमारा विकास हो रहा है। स्पेशल इकोनॉमिक जोन तो कहीं स्मार्ट सिटी के नाम पर हमको झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं. उद्योगों के नाम पर हमारी जमीन कब्जा की जा रही है. रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी गई है। इस लूट के खिलाफ आपके साथ पूरा देश खड़ा है। विकास के भ्रम में आज किसान, मजदूर, नौजवान आत्महत्या को मजबूर हैं. और लुटेरे पूंजीपति देश के संसाधन लूटकर विदेश फरार हो गए हैं. लूट के इस छुट्टा साड़ को आप अपने गांव में बाध दीजिए।
धरने को वरिष्ठ कहानीकार हेमन्त कुमार, राम कुमार यादव, रामनयन यादव, दुखहरन राम, राजीव यादव, इमरान, ओम प्रकाश भारती, नीलम, सुनील पंडित, नरोत्तम यादव, किस्मती, रितिका ने संबोधित किया. धरने की अध्यक्षता बिंदू यादव और संचालन रामाशीष गौड़ ने किया।

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