उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा शिल्प हाट में शिल्प, कला एवं स्वाद के संगम का 14 दिवसीय दीपावली शिल्प मेला रविवार से आरम्भ हुआ।  मेले का उद्घाटन केंद्र निदेशक प्रो० सुरेश शर्मा ने भगवान गणपति की मूर्ति पर माल्यापर्ण तथा नारियल तोड़कर तथा मंच पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
बटुकों द्वारा गणेष वंदना ‘हे परमेश्वर गौरी नंदन‘ एवं स्वस्ति वाचन से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। दूसरी प्रस्तुति में केन्द्र द्वारा वाराणसी में संचालित व्याख्या केंद्र निवेदिता शिक्षण संस्थान वाराणसी के छात्राओं द्वारा कजरी गायन की प्रस्तुति की गई, जिसमें देवी गीत ‘‘निमिया के गछिया पे सोने के झुलनवां’’ और ‘‘सुना बलम अलबेला दिखाई देत ई शिल्प मेला हो’’ की प्रस्तुति से मुक्ताकाषी मंच पर लोकरंगों की खुशबू बही तो पूरा परिसर संगीत से गुंजायमान हो उठा। वही लोकगायिका कुसुम पाण्डेय ने ‘बेटा नाहीं कइले जवन‘ व ‘तोहरो मरद कप्तान हो’ की प्रस्तुति देकर  दर्शकों को मुग्ध कर दिया। इसके  पश्चात हरी भरी धरती पर लोक नृत्य प्रस्तुत कर बीना सिंह एवं दल ने समां बांधा।
मेले में शिल्पकला के ढेरों नमूने जैसे सिल्क साड़ी चमडे़ के सामान, पर्स, लकड़ी के खिलौने, पेंटिंग एवं हथकरघा से लेकर बुनकरों तक विभिन्न प्रकार के घरेलू सामानों से लेकर डेकोरेटिव सामान की उचित दुकानें तथा कश्मीर से लेकर तमिलनाडु के शिल्पकार आकर्षण का केंद्र होगें।                           
इस मौके पर केंद्र के अधिकारी आशीष श्रीवास्तव, विनोद शुक्ला, कृष्ण मोहन द्विवेदी, अनूप श्रीवास्तव एवं अन्य कर्मचारी सहित दर्शक मौजूद रहे।

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