गहमर। एशिया के सबसे बड़े एवं सैनिक बाहुल्य गांव गहमर के साथ साथ क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगो ने ट्रेन ठहराव की मांगो को लेकर रेलवे से आर पार की लड़ाई का मन बना लिया है। आन्दोलनकारियों द्वारा हावड़ा दिल्ली रेल मुख्यमार्ग स्थित गहमर रेलवे स्टेशन पर इस्लामपुर दिल्ली मगध एक्सप्रेस, माल्दह टाउन भिवानी फरक्का एक्सप्रेस,आनंद विहार-जयनगर गरीब रथ एवं कामाख्या-भगत की कोठी एक्सप्रेस के ठहराव को लेकर 11 सितंबर (रविवार) को दानापुर-मुगलसराय रेल मार्ग जाम करने की चेतावनी दी गई है।
           ज्ञात हो कि कोरोना काल को आधार बनाकर गहमर रेलवे स्टेशन पर ठहरने वाली इन चार ट्रेनों का ठहराव हटा दिया गया था। जिसके विरोध में गत वर्ष जुलाई से ही आंदोलन चल रहा है। जनवरी 2022 में रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों द्वारा अनवरत 12 दिनों तक धरना दिए जाने के बाद भूख हड़ताल तक किया गया था, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। रेल पुनः ठहराव समिति के संयोजक गहमर इन्टर कालेज के पूर्व प्रवक्ता हृदय नारायण सिंह और अध्यक्ष पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर मार्कण्डेय सिंह ने कहा कि रेलवे का यह कृत्य बहुत ही निंदनीय है। गहमर सैनिकों का गांव है और सैनिकों के साथ यह अन्याय है।हमने 28 अगस्त को गहमर मीडिल स्कूल से रेलवे स्टेशन तक कैंडिल मार्च निकाल कर रेलवे के अधिकारियों को गहमर रेलवे स्टेशन प्रवंधक के माध्यम से 10 दिनों के अंदर चारों ट्रेनों के ठहराव देने की मांग की थी। रेलवे द्वारा मांग न माने जाने से क्षुब्ध गहमर क्षेत्रवासियों और पूर्व सैनिकों ने अब रेल चक्का जाम करने का निर्णय लिया है।उनका कहना था कि अब हम जनप्रतिनिधियों, रेलवे एवं जिले के अधिकारियों के किसी भी वादे के झांसे में नहीं आने वाले नहीं हैं। इस आंदोलन में भूतपूर्व सैनिक,व्यापार मंडल,बार एशोसिएशन ग़ाज़ीपुर एवं सेवराई व गहमर सहित क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग शामिल है। रेल चक्का जाम की सूचना मिलते ही अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे। शनिवार की दोपहर एस पी आर ए ग़ाज़ीपुर, सी ओ जमानियां ,एस डी एम सेवराई व इंस्पेक्टर आर पी एफ और जी आर पी दिलदारनगर गहमर थाने में पहुंच कर आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया। आन्दोलनकारियों ने कहा कि अगर शनिवार की रात तक आप हमें इन चार जोड़ी ट्रेनों के ठहराव के लिए रेलवे द्वारा लिखित पत्र देते हैं तो हम आंदोलन खत्म कर लेंगे। अगर नही तो हम रेलवे का चक्का जाम कर अपना हक लेकर ही मानेंगे।

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