स्वतंत्रता दिवस का त्यौहार आजादी का द्योतक है। भारत में वर्ष 2022 में 76वाँ स्वतन्त्रता दिवस मनाया जा रहा है। यह आजादी की 75वीं वर्षगाँठ है। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे हो गए। 15 अगस्त 1947 को भारत में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। स्वतंत्रता दिवस 2022 की थीम/विषय है- "हर घर तिरंगा" आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शुरू किया गया एक अभियान "हर घर तिरंगा" वर्ष 2022 के स्वतन्त्रता दिवस को ख़ास बनाता है। इस अभियान के तहत 13 अगस्त से 15 अगस्त तक देश भर में 20 करोड़ से अधिक घरों पर तिरंगा झंडा फहराया जाएगा। हर घर तिरंगा अभियान हमारे तिरंगे झंडे के प्रति सम्मान दिखाने के लिए है, जो हमारे राष्ट्र के लिए एक गौरव का प्रतीक है। इंडियन फ्लैग कोड (फ्लैग कोड, 2002) के मुताबिक नेशनल फ्लैग तिरंगा को केवल दिन में ही फहराने की अनुमति थी। शाम होने के साथ ही इसे उतार लिया जाता था। वर्ष 2022 में  केंद्र की मोदी सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान के लिए फ्लैग कोड के नियमों में बदलाव किया है, जिसके मुताबिक अब दिन और रात दोनों में तिरंगा झंडा फहराया जा सकता है। इसके लिए 20 जुलाई, 2022 को भारतीय झंडा संहिता 2002 में संशोधन किया गया है। फ्लैग कोड में एक और बड़ी तब्दिली करते हुए सरकार ने पॉलिस्टर और मशीन के झंडों को भी मंजूरी दे दी है। इसके पहले केवल हाथ से बनाए गए कपास, ऊन और रेशमी खादी के झंडों को फहराने की अनुमति थी। तिरंगा फहराने को लेकर कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए - 1. किसी भी दूसरे झंडे को नेशनल फ्लैग से ऊंचा या बराबर नहीं फहराया जाना चाहिए। 2. फटा हुआ या गंदा तिरंगा कभी फहराएं और अगर फहराने के बाद भी यह फट जाए तो इसे उतार लेना चाहिए। 3. तिरंगे को हमेशा पूरे आदर और जोश के साथ फहराया जाता है और धीरे-धीरे उतारा जाता है। इसको कभी जमीन पर स्पर्श नहीं कराना चाहिए। तिरंगा, राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत् का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। राष्ट्रीय ध्वज की सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र स्थित होता है। अशोक चक्र की 24 तीलियों से ही मनुष्य के लिए बनाये गए 24 धर्म मार्ग की तुलना की गई है। इसलिए इन्हें मनुष्य के लिए बनाये गए 24 धर्म मार्ग भी कहा जाता है। इन 24 तीलियों का मतलब क्रमशः इस प्रकार है- संयम, आरोग्य, शांति, त्याग, शील, सेवा, क्षमा, प्रेम, मैत्री, बन्धुत्व, संगठन, कल्याण, समृद्धि, उद्योग, सुरक्षा, नियम, समता, अर्थ, नीति, न्याय, सहकार्यकर्तव्य, अधिकार, बुद्धिमत्ता। किसी भी राष्ट्र का ध्वज उस राष्ट्र की अभिव्यक्ति का आधार होता है। राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना बिना राष्ट्र के संभव नहीं है। राष्ट्रीय ध्वज को समझना है तो पहले राष्ट्र को समझना होगा। राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र एक दूसरे के पूरक हैं। 'राष्ट्र' शब्द अंग्रेजी के शब्द 'नेशनका एक अनुवाद है। 'नेशन' शब्द लैटिन भाषा के 'नेशीऊ' शब्द से लिया गया है। लैटिन में, 'नेशीऊ' शब्द का अर्थ जन्म या जाती है। राष्ट्र, भूमि का टुकड़ा नहीं होता है। राष्ट्र बहुत से लोगों का समूह होता है। वह समूह जिसमे सभी लोग एक केंद्र बिंदु को अपना मानकर आपस में एक जुड़ाव महसूस करते हैं। देश के बाहर रहने वाले लोगों का जुड़ाव यदि इस केंद्र बिंदु से है तो ये लोग भी राष्ट्र के दायरे में आएँगे। कहने का तात्पर्य यह है कि दुनिया में कोई व्यक्ति चाहे किसी भी देश में रहता हो यदि वो किसी एक केंद्र बिंदु के आधार पर अपने लोगों से जुड़ाव महसूस करता है तो वो अपने राष्ट्र का हिस्सा है। केंद्र बिंदु धर्म के आधार पर जुड़ाव वाला हो सकता है। ऐतिहासिक आधार पर जुड़ाव वाला हो सकता है। भौगोलिक स्थिति के आधार पर जुड़ाव वाला हो सकता है। भारतीय संस्कृति के आधार पर जुड़ाव वाला हो सकता है। भाषा भी केंद्र बिंदु के स्थान पर हो सकती है अर्थात समान भाषा बोलने वाले लोग भी जुड़ाव का कारण हो सकते हैं। जब जनों का समूह एक केंद्र बिंदु को केंद्र में रखते हुए उसके आधार पर आपस में जुड़ाव महसूस करता है तो उसे ही राष्ट्र कहा जाता है। राष्ट्र एक सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक, धार्मिक, ऐतिहासिक या किसी भी अन्य केंद्र बिंदु के आधार पर स्थापित लोगों के बीच के सम्बन्ध से बने एक जनसमूह को कहा जाता है। इस तथ्य के साथ यह भी जरुरी है कि यहाँ पर जो केंद्र बिंदु है वह उन सभी लोगों को एकजुट रहने हेतु बाध्य करता हो। भारत एक राष्ट्र है। राष्ट्र एक भावनात्मक इकाई है। जो लोगों को उनके मन से जोड़ती है। भारत के लोग मनोवैज्ञानिक रूप से आपस में जुड़े हुए हैं। उनके मन जुड़े हुए हैं। मन से जुड़े हुए लोग ही राष्ट्र का निर्माण करते हैं। राष्ट्र का दायरा असीमित होता है। राष्ट्र को सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। राष्ट्र विशाल होता है। जबकि देश सीमाओं से बंधा होता है। अतएव देश का दायरा सीमित होता है। राष्ट्र जीवंत इकाई है। राष्ट्र सार्वभौमिक है। जबकि देश एक भौगोलिक इकाई है। राष्ट्रीय चेतना का जन्म अक्षुण्ण एकता से ही होता है। राष्ट्रीय चेतना ही राष्ट्र की अभिव्यक्ति का आधार है। अक्षुण्ण एकता की मिसाल है तिरंगा। तिरंगा जनसमूहों को एक धागे में पिरोए रहता है। तिरंगा एकता एवं अखंडता का प्रतीक है। एकता एवं अखण्डता से राष्ट्रीय चेतना का जन्म होता है। अतएव हम कह सकते हैं कि तिरंगा राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। आजादी के अमृत महोत्सव में ‘’हर घर तिरंगा’’ अक्षुण्ण एकता की मिसाल है। 

 

लेखक

डॉ. शंकर सुवन सिंह

वरिष्ठ स्तम्भकार एवं विचारक

असिस्टेंट प्रोफेसर, कृषि विश्वविद्यालय  

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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