प्रयागराज 29 जुलाई। हम डरेंगे नहीं, लड़ेंगे... पूरी ताकत से आखिरी सांस तक लड़ेंगे। सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह में मंचित नाटक पुरुष में नायिका अंबिका का यह संवाद अन्याय के खिलाफ आज की नारी के हौसले का अहसास करा गया।
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज की मासिक नाट्य श्रृंखला में आज अनुकृति रंगमंडल कानपुर के कलाकारों ने लेखक जयवंत दलवी के प्रसिद्ध मराठी नाटक पुरुष का सफल मंचन किया।
निशा वर्मा निर्देशित इस नाटक में दर्शाया गया कि अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना एक युवती के लिए कितना अपमानजनक हो सकता है। लेकिन नायिका अंबिका हार नही मानती और अदालत का फैसला अपने खिलाफ आने पर गुलाबराव जैसे भेड़िये से अपने तरीके से प्रतिशोध लेती है
नाटक शुरू होता है अण्णा साहब आप्टे के घर से। जो एक आदर्श शिक्षक हैं। उनकी अपनी पत्नी तारा के साथ कुछ वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन वह हमेशा उनका साथ देती है। अण्णा की बेटी अंबिका एक स्कूल में पढ़ाती है। उसका एक दोस्त है सिद्धार्थ, जो दलितों के हक की लड़ाई लड़ता है। नाटक के अगले सीन में बाहुबली गुलाबराव जाधव की एंट्री होती है, जिसके काले-कारनामों को कई बार अंबिका सबके सामने उजागर कर चुकी होती है। गुलाबराव अंबिका से बदला लेने के लिए उसको धोखे से डाक बंगले में बुलाकर बलात्कार कर देता है। यह सदमा अंबिका की मां तारा बर्दाश्त नहीं कर पाती और आत्महत्या कर लेती है। बिगड़ते हालात में अंबिका सिद्धार्थ का भी साथ छोड़ देती है। इस नाटक में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की कमियों को उजागर करती है कि मीडिया कैसे राजनीति के चँगुल में फंसी रहती है।
अब अंबिका को अपने संघर्ष की लड़ाई अकेले लड़नी है और वह गुलाबराव को जीवन भर याद रखने वाला सबक सिखाती है। नाटक के अंतिम दृश्य में अंबिका पुलिस को कॉल करती है। इंस्पेक्टर गॉडगिल पूछते हैं 'क्या तुमने गुलाब राव को मार डाला। अंबिका कहती है नहीं, मैंने उसका पुरुषत्व हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर डाला।' इसी के साथ नाटक का पटाक्षेप होता है।
इस मौके पर दर्शकों सहित केंद्र के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
नाटक में सुरेश श्रीवास्तव (अण्णा), जोली घोष (तारा), शुभी मेहरोत्रा (अंबिका), दीपिका (मथू), विजयभान सिंह (सिद्धार्थ) महेन्द्र धुरिया (गुलाबराव), अंचित श्रीवास्तव (जज), संध्या सिंह (वकील), कुशल गुप्ता (वकील/ बंडा), प्रमोद शर्मा (इंस्पेक्टर गाडगिल), शिवेन्द्र त्रिवेदी (शिवा), दिलीप सिंह (पाण्डू), महेेश जायसवाल व हिमांशु ने प्रमुख भूमिकाएं बखूबी निभायीं। प्रस्तुति नियंत्रक व सहायक निर्देशक डा. ओमेंद्र कुमार थे। संगीत विजय भास्कर व सलाहकार निर्देशक कृष्णा सक्सेना थे।
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