सेवराई।जून माह के उत्तरार्द्ध से ही अमूमन मैदानी क्षेत्रों में मानसून दस्तक दे देता है।जहां जुलाई माह में मानसूनी बरसात अपने चरम पर होता है।वहां आसमान में आवारा मेघ के टुकड़ों के बरसने की किसान राह देख रहे हैं।धान की नर्सरी अब तैयार होने के कगार पर है।किंतु मानसून के अल्पवर्षा के चलते धरती का कलेजा ठंडा नहीं हुआ है।धान की रोपाई के लिए खेतों में पर्याप्त मात्रा में जल नहीं उपलब्ध होने से अन्नदाताओं की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।जहां धान की नर्सरी तैयार हो गई है वहां किसान धान की रोपाई के लिए इस कमरतोड़ महंगाई में बिजली और डीजल इंजन से खेतों में लेव लगाने के लिए मजबूर हैं।वहीं क्षेत्र में अघोषित बिजली की कटौती कोढ़ में खाज साबित हो रही है।
मानसून की दगाबाजी से उमस भरी गरमी से आम जनजीवन का हाल बेहाल हो गया है।लो वोल्टेज की समस्या के साथ साथ अघोषित बिजली की कटौती से लोग पसीना पोंछते और हाथ से पंखा झलते नजर आ रहे हैं।किंतु अभी तक मानसून अपने रुख से नरमी दिखाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है।वहीं हल्की बारिश के कारण गड्ढों के किनारे भारी संख्या में पीले पीले मेढ़क टर्र टर्र की रट लगा बादलों से बरसने की मनुहार करते हुए नजर आ रहे हैं।
रिपोर्ट नसीम खान 

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