फोटो देखिए। यह एक उस बदनसीब 10 वर्षीय बालक की फोटो है, जिसको एक पैसाखोर झोलाछाप डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन लगाकर पैर से अपाहिज कर दिया है। बाप राम चन्द्र की तहरीर पर भिनगा कोतवाली में आरोपित संतोष कुमार वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। इसकी फोटो अखबारों में छपी, पर जिम्मेदारों को शर्म महसूस नहीं हुई।उनकी आंखों में न पानी रहा और न सीने में दिल। यह बालक जोतवा सेमरी चकपिहानी गांव का है। बकौल रामचन्द्र उनके बेटे की तबियत खराब हुई तो सेमरी चकपिहानी में संतोष के यहां इलाज कराने ले गया। उन्होने न जाने कौन सा इंजेक्शन उसके बेटे के बाएं पैर में लगा दिया जिससे उसका पैर खराब हो गया। एफआईआर तो किसी तरीके से 25 मई को दर्ज हो गई , लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो रही है। ऐसे ही मल्हीपुर थाना क्षेत्र के ओरीपुरवा गांव के 27 वर्षीय अमरजीत की झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन लगाने से मौत हो गई। जांच के दौरान पुष्टि भी हुई कि बिना लाइसेंस के मेडिकल स्टोर व बिना डिग्री के झोला छाप की डॉक्टरी चल रही थी। फिर भी कार्रवाई....!
श्रावस्ती जिले की यह घटनाएँ बानगी है कि एक आम आदमी के लिए इंसाफ पाना कितना दुश्वार होता जा रहा है। यह घटनाएं बताती है कि आखिर कानून और पुलिस की वर्दी से आम आदमी का भरोसा क्यों टूटता जा रहा है? यह सवाल भी खड़ा करती है कि अगर किसी आम आदमी के पास पैसे की या ऊंचे रसूख की ताकत नहीं है तो क्या उसे इंसाफ नहीं मिल सकता ? और इन सवालों से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा यह कि शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी, जिनसे निष्पक्ष व्यवहार की अपेक्षा की जाती है, अगर वे निष्पक्ष नहीं रहेंगे तो फिर कोई इंसाफ की अपेक्षा कर भी कैसे सकता है? भिनगा कोतवाली क्षेत्र के जोतवा सेमरी चकपिहानी गांव के रहने वाले राम चन्द्र कोतवाली से लेकर अधिकारियों की चौखट नाप रहे हैं कि उसके 10 वर्षीय बेटे के साथ इंसाफ हो, लेकिन उसकी सुनवाई सिर्फ इसलिए नहीं हो रही है कि वह जिसके खिलाफ कानून की मदद चाह रहा है उसके संपर्क सत्तारूढ़ दल के एक बड़े नेता से है।, इस कारण उसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। सत्ता में रसूख के चलते उसके लिए इंसाफ का हर दरवाजा बंद दिखाई दे रहा है। वह हताश व निराश है। यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री हर उस कांफ़्रेस व मीटिंग में
कहते हैं कि कमजोर को हर कीमत पर
इंसाफ दिलाया जाए तो फिर इस शख्स की एफआईआर
दर्ज होने के बाद आरोपित पैसाखोर झोला छाप डॉक्टर की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है। पुलिस जानती है कि 'न्यायोचित' कार्रवाई का मतलब क्या है ? अब
एक आदमी की सत्तादल के नेता की पहुंच के सामने क्या बिसात? सवाल अनुत्तरित है कि आखिर इस आदमी को इंसाफ कैसे मिल पाएगा? इंसाफ कानून की
चौखट पर ही दम तोड़ देगा। उम्मीद की जाती कानून पर से आम आदमी के भरोसे को यूं खत्म कर दिया जाएगा। इन घटनाओं पर बशीर बद्र का एक
शेर सटीक बैठता है -
*परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
*किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता।
*बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना,
*जहां दरिया समंदर से मिला, दरिया नहीं रहता।।
रिपोर्ट- अम्बरीष द्विवेदी
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें