ओडिशा जनजातीय नेता से राज्यपाल तक का सफर तय करने वाली मुर्मू ने कहा कि उन्हें TV के जरिये जानकारी मिली कि उन्हें NDA की ओर से देश के सर्वोच्च पद का प्रत्याशी घोषित किया गया है.

ओडिशा की द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें TV के जरिये जानकारी मिली कि उन्हें NDA की ओर से देश के सर्वोच्च पद का प्रत्याशी घोषित किया गया है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि उन्हें ओडिशा के सभी दलों के सांसदों और विधायकों का समर्थन मिलने की उम्मीद है क्योंकि वह उस प्रदेश की बेटी हैं।


 
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा (Odisha) प्रदेश से आती हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू और पति का नाम श्याम चरम मुर्मू है। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की संथाल परिवार से आती हैं। मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव में उनका लालन-पालन एक आदिवासी परिवार में हुआ। द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पहली बार पार्षद चुनी गईं। इसके बाद बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष बनीं।

द्रौपदी मुर्मू
‘मैं आश्चर्यचकित और खुश हूं‘
मुर्मू ने रायरंगपुर में अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, “मैं आश्चर्यचकित और खुश हूं. मयूरभंज जिले से आने वाली एक आदिवासी महिला के रूप में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा. ” उन्होंने कहा कि NDA सरकार ने आदिवासी महिला का चयन कर के बीजेपी के नारे “सबका साथ सबका विश्वास” को सिद्ध कर दिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें बीजू जनता दल (बीजेडी) का समर्थन मिलेगा, मुर्मू ने कहा, “मुझे आशा है कि मुझे ओडिशा के सभी विधायकों और सांसदों का समर्थन प्राप्त होगा.” राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में बीजेडी के पास 2.8 प्रतिशत से ज्यादा मत हैं. उन्होंने कहा, “मैं इस प्रदेश की बेटी हूं. मुझे एक ओड़िया होने के नाते सबसे यह अनुरोध करने का अधिकार है कि मेरा समर्थन करें.।”



संथाल समुदाय में जन्मी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के सदस्य के रूप में की थी और आगे बढ़ते-बढ़ते 2000 में बीजेडी-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं और 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं.

रायरंगपुर सीट से दो बार विधायक रह चुकीं मुर्मू 2009 में उस वक्त भी अपनी सीट से जीती थीं जब बीजेडी ने चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. इस चुनाव में बीजेडी को भारी जीत मिली थी.

मुर्मू ने कहा, ‘‘मुझे इस अवसर की आशा नहीं थी. मैं पड़ोसी राज्य झारखंड की राज्यपाल बनने के बाद छह साल से भी ज्यादा वक्त से राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले रही थी. आशा करती हूं सभी मेरा साथ देंगे.’’

पैतृक जिले में खुशी का माहौल
द्रौपदी की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उनके पैतृक मयूरभंज जिले में खुशी का माहौल है. बड़ी संख्या में लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं. वहीं, बारगढ़ से बीजेपी सांसद सुरेश पुजारी ने कहा, ‘‘आदिवासी महिला को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाने के पार्टी के फैसले से हम सभी बहुत खुश हैं. ऐसी पहली बार हुआ है कि इस धरती की बेटी को इस पद के चुना जाएगा.’’

आदिवासी मामलों के केन्द्रीय मंत्री बिशीस्वर तुदु ने कहा, ‘‘मैं खासतौर से खुश हूं क्योंकि मुर्मू मेरे लोकसभा क्षेत्र और मेरे आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं.’’ संकेत हैं कि मुर्मू के नाम की घोषणा से पहले BJP ने CM नवीन पटनायक से चर्चा की।

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