अखंड गहमरी की ओजस्वी रचना- "जिसे है प्यार अफजल से उसे अब मत बचाओ तुम, खड़ा चौराहे पर करके उसे फांसी लगाओ तुम" को खूब सराहना मिली। श्रोताओं की मांग पर सुप्रसिद्ध हास्य कवि फजीहत गहमरी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में कई कविताओं एवं राजनीतिक टिप्पणियों से जहां लोगों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया, वहीं अपनी हास्य कविताओं से खूब ठहाके लगवाए। उनकी रचना- "मन मीरा सूर तुलसी में बसाने लगा हूं, पद भक्ति के रागों को गुनगुनाने लगा हूं। जब से सुना जलोटा को जसलीन मिल गई, सब काम-धाम छोड़ भजन गाने लगा हूं" पर देर तक तालियां बजती रहीं। पुकार गाजीपुरी ने अपनी रचना- "सामने गर हो चुनौती जूझ जाना चाहिए, साध अपने लक्ष्य को पौरुष दिखाना चाहिए" से मंच को ऊंचाई प्रदान की। मंच संचालक मिथिलेश गहमरी की रचना- "बदल इतनी सी हो जाए इबादत के रिवाजों में, खुदा के साथ ईश्वर भी रहे शामिल नमाजो में" को लोगों ने काफी सराहा।इसके अलावा कामेश्वर द्विवेदी,रंगनाथ सिंह,आनंद कुशवाहा आदि कवियों भी सफल काव्यपाठ किया। कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। श्रोताओं ने सभी कवियों को अपनी तालियां एवं वाहवाही से खूब नवाजा। अंत में कार्यक्रम के आयोजक राम पुकार सिंह उर्फ पुकार गाजीपुरी ने सभी आगंतुक कवियों एवं उपस्थित श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
गहमर/अमौरा गांव में एक सरस कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
गहमर।तहसील क्षेत्र के अमौरा गांव में एक सरस कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें आये कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं के भरपूर मनोरंजन करते हुए बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ कामेश्वर द्विवेदी की वाणी वंदना से हुआ। व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर कुमार प्रवीण की रचना- "यह केवल हिंदी ही नहीं है पूरा हिंदुस्तान है" को श्रोताओं ने काफी सराहा। प्रसिद्ध नवगीतकार कुमार शैलेंद्र ने अपनी रचना- "भुरभुरा कर घड़े दो धड़े हो गए, दूध के दांत विष खोपड़े हो गए" सुना कर मंच को काफी ऊंचाई प्रदान की। वरिष्ठ रचनाकार राजेंद्र सिंह की रचना- "तन का नहीं मन का इतिहास भी रचो, कल्पना के साथ कुछ यथार्थ भी रचो" को लोगों ने काफी पसंद किया। युवा लोकप्रिय नवगीतकार डॉक्टर अक्षय पांडे की रचना- "एक पल तू गीत जैसा मन बना ले संग मेरे गुनगुना, ले वक्त की खामोशियां छंट जाएंगी" पर श्रोताओं की खूब वाहवाही मिली।
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