लेखक – वीरेंद्र सिंह रावत  



     एक प्रगतिशील लोकतंत्र में जनता के कल्याण एवं उनके नियोजित जीवनयापन की व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। यह दायित्व वहाँ की चुनी हुई सरकार द्वारा निर्वाहित होता है।


दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत नें जनता की खुशहाली हेतु अपने प्रयासों में ना केवल निरंतर प्रगति की है, वरन विश्व पटल पर अपनी पहचान भी स्थापित की है।


देश में भिन्न-भिन्न सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य के चलते, केंद्र सरकार के सामने हमेशा एक चुनौती बनी रहती है कि वह गरीब एवं निचले तबकों को समयबद्ध तरीके से कैसे आर्थिक मदद पहुंचाए और यह भी सुनिश्चित करे कि पूरा का पूरा लाभ उसी परिवार तक पहुंचे।


इस प्रष्टभूमि में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी  योजना भारत में एक कारगर माध्यम बन कर उभरी है।


असल में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना भारत सरकार का एक अनूठा तंत्र है जिसके माध्यम से लोगों के बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है। यह अंतरण इस उद्देश्य से किया जाता है कि बैंक खातों में सब्सिडी जमा करने से ‘लीकेज’, विलम्भ आदि सम्बंधित कमियों का निराकरण  प्रत्यक्ष लाभ अंतरण द्वारा किया जा सकेगा।


यह और भी हर्ष का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के प्रबल समर्थक हैं। वह अपने उद्बोधनों में प्रायः इस बारे में विचार व्यक्त करते रहते हैं और इस दिशा में अपनी सरकार की उपलब्धियों एवं प्रस्तावित योजनाओं का जिक्र भी बड़ी गंभीरता से करते हैं।


प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा कि, “अब डी बी टी के माध्यम से गरीबों की मिलने वाला लाभ 100 प्रतिशत गरीबों तक सीधे पहुँच रहा है। अकेले प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की वजह से Rs 1 लाख 70 हजार करोड़ से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं। आज ये गर्व के साथ कहा जा सकता है कि घोटालों वाले उस दौर को देश पीछे छोड़ चुका है।”


अब तक, अकेले उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार ने करीब Rs 76,000 करोड से अधिक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में सीधे पहुंचाया है। इस तरह गरीब और समाज के पिछड़े वर्गों को आर्थिक मदद मिली है जिससे वह एक गरिमामय जीवन व्यतीत कर सके।


ख़ास कर, कोरोनाकाल खंड में प्रत्यक्ष लाभ अंतरणके माध्यम से जो सहायता राशि लाभार्तियों को प्राप्त हुई वह विश्व में भारत के स्थान और ऊंचा करता है और देश की मौजूदा सकारात्मक कार्यप्रणाली का सन्देश भी देता है।


यह कहना सही है कई भारत जैसे बड़े एवं विकासशील देश में यह योजना सरकार द्वारा संचालित एक बेजोड़ स्कीम है जिसके तहत विकसित सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए आधार-अंकित बैंक खातों में एक निश्चित राशि का भुगतान समयबद्ध तरीके से किया जा सकता है।


मौजूदा समय में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अंतर्गत केंद्र की 54 मंत्रालय एवं विभागों द्वारा संचालित एवं पोषित करीब 310 योजनाएं लाभान्वित हो रही हैं।


JAM अर्थात जन धन (J) अकाउंट, आधार (A) एवं मोबाइल (M) के पटल से अब तक करीब 22 करोड़ जन धन अकाउंट, 100 करोड़ आधार एवं 100 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन द्वारा DBT की वृहत योजना देश भर के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित अंचलो में संचालित की जा रही है।


उत्तर प्रदेश प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अंतर्गत सर्वाधिक लाभ अर्जित करने वाला राज्य है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब Rs 75,984 करोड उत्तर प्रदेश में 146 योजनाओं के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के लाभार्थियों को उनके बैंक खातों द्वारा वितरित की जा चुकी है।


वहीँ अगर उत्तर प्रदेश की अपनी योजनाओं की बात करें तो प्रदेश सरकार द्वारा भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से राज्य की योजनाओं में भी करीब Rs 2,74,934 करोड़ रुपए का वितरण विभिन्न लाभार्थी वर्गों को किया जा चुका है।


डीबीटी लाभान्वित प्रमुख योजनाएं में से अग्रणी है पीएम किसान सम्मान निधि या PM Kisan योजना। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी किसान को प्रतिवर्ष Rs ₹6,000 की राशि प्रदान की जाती है। यह राशि Rs 2,000 की तीन किस्तों में देने का प्रावधान है। इस योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फरवरी 24, 2019 को गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) से किया गया था।


अभी हाल ही में हुए एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम किसान की नवीन किस्त छोटे एवं मझोले किसानों के खातों में स्थानांतरित की और केंद्र सरकार द्वारा किसानों एवं कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने के अपने संकल्प को दोहराया।


दूसरी प्रमुख योजना है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, जिसे हम लोग मनरेगा के नाम से अधिक जानते है। यह योजना ग्रामीण अंचलों में रहने वाले गरीब परिवारों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है।


उत्तर प्रदेश में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से कई प्रमुख योजनायों में अब तक केंद्र सरकार नें सहायता राशि उपलब्ध कराई है। इसमें मुख्य रूप से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि है। उत्तर प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 55 लाख 77 हजार से अधिक किसानों को Rs 37,680 करोड़ से आधिक की राशि हस्तांतरित की जा चुकी हैं।


इसी प्रकार से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है। प्रदेश में अब तक 2 करोड़ 21 लाख 95 हजार किसानों का पंजीकरण करते हुए, करीब 27.56 लाख किसानों को Rs 2,376 करोड़ की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया है।


वहीँ अगर हम एक और कृषि सम्बंधित योजना का उल्लेख करें तो वह है प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना। इस योजना में बीमित किसान (पुरुष एवं स्त्री) के लिए 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर Rs 3,000 की मासिक पेंशन देने की व्यवस्था है। प्रदेश में अब तक 2 लाख 52 हजार लाभार्थियों को इसका लाभ दिया जा चुका है।


अब हम बात करते हैं उस योजना की जिसका उद्देश्य है एक स्वस्थ्य भारत का निर्माण। यह योजना है आयुष्मान भारत योजना। उत्तर प्रदेश में 1.18 करोड़ गरीब परिवार के करीब 6 करोड़ 47 लाख लोगों को Rs 5 लाख तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवर प्रदान किया गया है।


उद्योग जगत की बात करें तो, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में छोटे व्यापार और उद्यम के लिए Rs 50,000 से Rs 10 लाख तक की पूंजी बैंकों द्वारा ऋण के रूप में उपलब्ध करायी जाती है। उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ 39 लाख उद्यमी लाभान्वित हुए हैं।


अटल पेन्शन योजना के अंतर्गत 60 वर्ष की उम्र होने पर अंशदान के अनुसार Rs 1,000 से Rs 5,000 प्रतिमाह तक की पेंशन का प्रावधान है, जिसके अंतर्गत प्रदेश के 36 लाख 60 हजार लोग लाभान्वित हैं।


इसी भाँती प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजनान्तर्गत संगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को Rs 3,000 मासिक पेंशन की सुविधा है। उत्तर प्रदेश में अब तक 6 लाख 14 हजार श्रमिकों का पंजीकरण किया जा चूका है।


इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में अनेक योजनायें राज्य सरकार के अनुदान एवं सहायता से भी संचालित होती हैं जिनका लाभ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से अंतरित होता है। 


इसके अंतर्गत आने वाली योजनायें कृषि, महिला कल्याण, वृद्ध आदि के जीवन को बेहतर और खुशहाल बनाने के प्रयोजन से चलाई जा रही हैं। इन योजनायों में भी DBT के माध्यम से लाभार्ती को मदद दी जा रही है।


कृषि कल्याण हेतु उत्तर प्रदेश में अब तक लगभग Rs 4 लाख 25 हजार करोड़ का फसली ऋण वितरित हुआ है। इसके अलावा, कृषि निवेशों पर देय करीब Rs 2,151 करोड़ अनुदान राशि किसानों के खाते में हस्तांतरित और 45.44 लाख गन्ना किसानों को अब तक Rs 1 लाख 52 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है।


वहीँ महिला कल्याण के क्षेत्र में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में 10.93 लाख से अधिक बेटियां लाभान्वित हुई हैं। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अन्तर्गत 1 लाख 52 हजार से अधिक गरीब कन्याओं का विवाह सम्पन्न हुआ है, वहीँ अनुदान राशि Rs 35,000 से बढ़ाकर Rs 51,000 की गई।



इसी प्रकार वृद्धावस्था पेंशन प्रतिमाह Rs 400 से बढ़ाकर Rs 500 की गई जिससे 55 लाख 77 हजार वृद्धजन लाभान्वित हुए और 11 लाख 18 हजार से अधिक दिव्यांगजन प्रतिमाह Rs 500 पेंशन पा रहे हैं।


60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके श्रमिकों को प्रतिमाह Rs 1,000 की पेंशन दी जा रही है। इस योजना में अब तक एक करोड़ से अधिक श्रमिकों का पंजीकरण हुआ है।


इस प्रकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण लाभार्थी परिवारों के जीवन में एक वरदान साबित हो रही है और भारत के आर्थिक एवं सामाजिक समरसता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

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