सिद्धार्थनगर ।।

हम आज के परिवेश में देख रहे हैं हमारे भारतवर्ष की शिक्षा प्रणाली जो भारतीय संस्कृति को जीवंत रखती थी जिसके बलबूते पर हमारा राष्ट्र विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित था पूरे विश्व में सर्वोच्च था जिस संस्कार को धारण करके रामकृष्ण चाणक्य विक्रमादित्य चंद्रगुप्त मौर्य विवेकानंद पुष्यमित्र शुंग जैसे महापुरुषों ने पूरे विश्व को भारत की शक्ति का आभास करवाया परंतु दुर्भाग्यवश आज वह शिक्षा पद्धति समाप्त होने के कगार पर है आज यदा-कदा कहीं पर संस्कृति का स्वरूप दिखाई देता है उसे संस्कृति और संस्कार की आवश्यकता आज हम सभी को है भारतीय वैदिक शिक्षा आध्यात्मिक शिक्षा की आवश्यकता को समझते हुए सिद्धार्थनगर के अमौली ग्राम में आचार्य बृजेश पाठक जी के द्वारा राम जानकी गुरुकुलम का स्थापना हुआ।

 गुरुकुल खोलने का संकल्प स्पष्ट था आश्रम व्यवस्था वर्णाश्रम धर्म को जीवंत रखना तथा वेद वेदांग ,ज्योतिष ,कर्मकांड रामायण ,भागवत गीता को गुरु शिष्य परंपरा के आधार पर स्थापित करना ।


आइए समझते हैं कि गुरुकुल खोलने का विचार आचार्य बृजेश पाठक जी के मन में कब आया ?


 और उन्होंने इसे प्रारंभ किस प्रकार से किया आचार्य जी का जन्म सिद्धार्थनगर के भनवापुर ब्लाक में सहदेईया गांव में हुआ 

8 वर्ष की अवस्था में यज्ञोपवीत संस्कार हो जाने के बाद अयोध्या में वेद पढ़ने के लिए चले गए समय आने पर काशी से रामायण भागवत की विशिष्ट शिक्षा आचार्य जी ने प्राप्त किया  उनका मनोभाव वैदिक धर्म के प्रति हिंदुत्व के प्रति प्रखर होता चला गया उनका मन हिंदुओं में फैल रहे भेदभाव से बहुत दुखी है आदिवासी दलित समुदाय के लोग सनातन छोड़कर विधर्मी बन रहे हैं और उनको समझाने वाले विद्वानों की कमी हो गई है जो लोग विद्वान है वह भी इन सब बातों के झंझट में नहीं पड़ना चाहते पहले आचार्य अतिथियों साधु महात्माओं का सम्मान होता था लोग उन्हें प्रणाम करते थे बड़े बुजुर्गों का सेवा होता था सम्मान होता था परंतु अब वह परंपरा समाप्त होता चला जा रहा है इसका एक ही कारण है वर्तमान भारत की शिक्षा प्रणाली मूल अवधारणा से परे है अर्थात शिक्षा प्रणाली हमारी नहीं है अंग्रेजों मुगलों द्वारा थोपी गई शिक्षा प्रणाली हमारे सनातनी बच्चों को पढ़ाई जा रही है थोपी जा रही है जिसका उद्देश्य स्पष्ट है हिंदुओं को मानसिक रूप से गुलाम बनाना उनके संस्कारों को नष्ट करना जैसे आसानी से हमारे सनातनी यों को ईसाई व  मुसलमान  बनाकर भारत को गुलाम बनाया जा सके ।

इसी का परिणाम है कि आज मंदिर तो हैं पर पुजारी नहीं है हम सनातनी तो हैं पर वह संस्कार दिखाई नहीं दे रहा है आज संस्कृत को पढ़ने पढ़ाने वाले दूर-दूर तक खोजने पर भी नहीं मिलते गहराई से चिंतन करने पर पता चलता है कि अगर हिंदू हिंदुत्व भारत भारतीयता की रक्षा करना है तो ऋषि मुनियों द्वारा रक्षित शिक्षा प्रणाली को पुनः जीवंत करने की आवश्यकता है हम आचार्य हैं वेदों ने हमें बताया है वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताःहम पुरोहित राष्ट्र को जागृत एवं जीवंत रखेंगे इसी संकल्प के साथ गुरुकुल का स्थापना हो गया। समय आने पर स्थान का चयन हुआ आवश्यक वस्तुओं का प्रबंध हुआ बड़े संघर्ष बड़े तपस्या बड़े बाधाओं से लड़ते हुए श्री राघवेंद्र राम जी की कृपा से गुरुकुल का स्थापना सिद्धार्थनगर की भूमि में अमौली गांव की धरती पर हो गया।

 धीरे-धीरे आवास की व्यवस्था, भोजनालय की व्यवस्था सयन कक्ष की व्यवस्था ,अध्ययन कक्ष की व्यवस्था होती गई बहुत से सनातनी उन्हें सहयोग किया बहुत से विद्यार्थी पढ़ने के लिए आए और बहुत से गए भी लेकिन दुगना उत्साह के साथ मैं कार्य में लगा रहा हमारा विश्वास था कि राघवजी ने गुरुकुल खोलने की प्रेणा दी है तो संचालित करने की भी शक्ति वही प्रदान करेंगे इसी क्रम में बाधाओं को पार करते हुए संघर्षों के पुल बांधते हुए गुरुकुल जहां से प्रारंभ हुआ था आज वहां से कई गुना आगे हैं 8 बच्चे रह कर के हमारे यहां आवासीय अध्ययन कर रहे हैं ।

आश्रम में शिक्षा निशुल्क है अंग्रेजी गणित योग इतिहास विज्ञान जागरण के साथ-साथ आधुनिक विषयों को भी विधि पूर्वक पढ़ाया जाता है सायंकाल  4:00 बजे से 6:00 बजे तक क्षेत्र के 50 से अधिक बच्चे अध्ययन के लिए आश्रम पर आते हैं उन्हें निशुल्क धार्मिक शिक्षा आवश्यक शिक्षा प्रदान की जाती है समाज को सनातन वैदिक परंपरा से जोड़ने वाला हर वह प्रयास गुरुकुल के द्वारा किया जा रहा है जिससे लोग ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित संस्कार को जीवन में उतार सके ।

गुरुकुल के छात्र 4:30 पर प्रातः उठते हैं 5:00 बजे तक स्नान होता है 5:00 से 6:00 बजे तक संध्या वंदन जब तक करते हैं 6:00 से 7:00 बजे तक योगाभ्यास चलता है 8:00 बजे तक अल्पाहार हो जाता है 8:00 से 11: 30 बजे तक क्लास चलता है 12:00 बजे भोजन संपन्न होता है 2:00 बजे से पुनः क्लास लगता है 5:00 बजे तक क्लास चलता है आधुनिक विषयों का 5:00 से 6:00 तक खेलने कूदने का समय निर्धारित किया गया है 6:00 बजे से 7:30 बजे तक संध्या वंदन का समय है 7:30 से 9:00 तक अपना अभ्यास करने का समय है 9:00 से 10:00 के बीच में भोजन संपन्न हो जाता है 10:00 बजे बच्चे पुनः शो जाते हैं अध्ययन कराने के लिए आचार्य बृजेश स्वयं आश्रम पर रहते हैं नियम संयम के साथ बच्चों को वेद, दुर्गा सप्तशती ,गीता, आचार - व्यवहार, नीति का अध्ययन करवाते हैं अंग्रेजी गणित विज्ञान के लिए अध्यापक बाहर से आते हैं समय-समय पर टेस्ट परीक्षा की भी व्यवस्था की गई है संगीत क्लास महीने में 5 दिन के लिए लगाया जाता है कथा प्रवचन के अभ्यास के लिए माइक साउंड सर्विस की व्यवस्था आश्रम में है हारमोनियम ढोलक बैंजो की भी व्यवस्था आश्रम में उपलब्ध है सनातन संस्कृति को जीवंत रखने में जो भी करना पड़े आचार्य बृजेश उसके पीछे नहीं हटते।

हमारे पत्रकारों ने जब आचार्य बृजेश जी से पूछने पर पता चला कि स्वयं द्वारा एकत्रित धन वह लगा चुके हैं और आश्रम चलाने के लिए कर्मकांड कथा प्रवचन का सहारा लेना पड़ रहा है कुछ सज्जन आश्रम में अपना सहयोग देते रहते हैं उसी से आश्रम की व्यवस्था संचालित होती है हमारा उद्देश्य है परंतु छात्रों का आश्रम बने जिसमें आवास भोजनालय शयनकक्ष योग ध्यान हाल मंदिर पठन-पाठन कक्ष, अध्यापक आवास, आचार्य आवास ,उद्यान खेल मैदान उपलब्ध रहे और सभी विषयों के विशेषज्ञ ज्योतिष कर्मकांड ,वेद योग, अंग्रेजी ,गणित ,विज्ञान सभी विषयों के विशेषज्ञ गुरुकुल में रहे 500 आचार्यों को तैयार करके श्री राम जानकी गुरुकुलम की व्यवस्था रहे कि 500 और नए गुरुकुल की स्थापना 10 वर्षों के अंतर्गत कर सकें इसी संकल्प के साथ निरंतर 8 महीनों से आश्रम संचालित हो रहा है भगवती जगत जननी जगदंबिका की कृपा से आगे संपूर्ण मनोरथ सिद्ध होंगे आप सभी सनातनी इसमें अपना विचार योगदान अवश्य रखें।

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