*आचार सहिता उल्लंघन के लिए cvigil एप*
*-----सुमन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार*
चुनाव लोकतंत्र के उत्सव के रूप में जाना जाता है। यह ऐसा समय होता है, जब देश के नागरिकों को लोकसभा, विधानसभा के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अवसर मिलता है। किसी भी लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव जरूरी हैं । इसकी प्रक्रिया भी इतनी पारदर्शी होनी चाहिए कि लोगों का लोकतंत्र के प्रति भरोसा बना रहे। इस व्यवस्था का मूल मंत्र है-जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन। यही कारण है कि लोकतंत्र को दुनिया की सबसे अच्छी व्यवस्था मानी जाती है। जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन अपने मतो यानी वोट के जरिए कर सकती है। यहां अमीर गरीब, आम आदमी खास आदमी का भेद-भाव मिट जाता है। सभी के पास ‘एक’ ही वोट का अधिकार है जिसका प्रयोग वह अपने प्रतिनिधियों का जिन्हें वे विधायक या संासद कहा जाता है, का चुनाव करती है कि वे संसद या विधानमंडल में जाकर जनता के की बेहतरी के लिए कार्य करें। चुनाव में सभी नागरिकों की भागीदारी हो, इसके लिए आवश्यक है कि शत-प्रतिशत मतदान हो। लोकतंत्र में बहुमत का महत्व है।
निर्वाचन आयोग प्रत्येक चुनाव में वोटरों को रिझाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करता रहता है। विज्ञान एवं तकनीक के नये प्रयोगों से उन्हें अपने बारे में जानने के साथ ही अपने प्रतिनिधियों के बारे में जानने के अवसर भी प्रदान करता है। इसके कारण मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी है। इसी के सापेक्ष हमें यह भी सोचना होगा कि क्या कारण है कि पंचायत के चुनाव में मतदान 98 से लेकर 100 प्रतिशत तक हो जाता है। विधानसभा में यह प्रतिशत 70 से अधिक नहीं जा पाता है और लोकसभा के चुनाव में यह प्रतिशत भी घट जाता है। चुनाव में जितनी अधिक सरगर्मी होती है मतदान का प्रतिशत उतना ही अधिक होता है। इस बार कोविड के चलते चुनाव ‘बिन बैंड बाजे वाली बारात’ की स्थिति में हैं। ठंड भी भीषण हो रही है, फिर भी चुनाव की सरगर्मी लोगों को अधिक से अधिक मतदान करने के लिए प्रेरित करेगी ऐसा अनुमान किया जा रहा है। यह चुनावी सरगर्मी ही होती है जो लोगों को अपनी सरकार चुनने के लिए तमाम बाधाओं को पार करके भी मतदाता बूथ तक पहंुच ही जाता है। तब वह जाड़ा, धूप, सर्दी और गर्मी की परवाह नहीं करता है उसके सामने एक ही लक्ष्य होता है अपने वोट को दर्ज कराना।
मतदाता जागरूक हो अपने मत का सही प्रयोग करे यह भी आवश्यक है। वह बिना किसी लोभ, लालच, दबाव के अपने मत का प्रयोग कर सके इसके लिए निर्वाचन आयोग अपनी मशीनरी के माध्यम से सक्रियता दिखाता रहता है। निर्वाचन आयोग ने महिला मतदाताओं को भी अपनी सूची में जोड़ने के लिए अभियान चलाया जिससे वे भी लोकतंत्र के उत्सव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर मतदान कर सकें। भारत ऐसा देश है जहां देश की आजादी के साथ ही महिलाओं को मताधिकार हासिल हो गया था। आजादी के आरम्भिक दिनों में कई दशकों तक गांव की महिलाएं बैलगाड़ी में बैठकर गीत गाते हुए रंग बिरंगे परिधानों में बूथ तक एक उत्सव की भांति ही शामिल थीं। यह उनके लिए एक मेले की भांति घर से बाहर निकलने काएक अवसर होता था। जैसे-जैसे महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सचेत होती जा रही हैं उनका मतदान प्रतिशत भी बढ़ने लगा है। महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए निर्वाचन आयोग उनके लिए ऐसा माडल बूथ बना रहा है जहां सिर्फ महिला कर्मचारी अधिकारी ही मतदान में लगाये जायेंगे।
कोविड के दौर में हो रहे इन चुनावों में निर्वाचन आयोग ने चार मोबाइल एप को जनता के लिए लांच किया है। ये हैं- नो योर कैंडिडेट, सी विजिल एप, वोटर हेल्पलाइन एप और चौथा पी डब्लयूडी एप। सी विजिल एप cvigil के माध्यम से कोई भी व्यक्ति आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की की शिकायतें वीडियो आडियो और फोटो अपलोड करके कर सकता है। इससे चुनाव से जुड़ी अनियमितता की फोटो, आडियो से आयोग सत्यापित करके उस पर शीघ्रता से कार्रवाई कर सकता है।
निर्वाचन आयोग के नो योर कैंडिडेट (kyc) एप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति उन प्रत्याशियों के बारे आपराधिक रिकार्ड की जानकारी कर सकता है जो चुनाव में खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में खड़े प्रत्याशियों के आपराधिक रिकार्ड को सार्वजनिक करने के आदेश दिए हैं। इसे ध्यान में रखकर निर्वाचन आयोग ने नो योर कंडीडेट एप लांच करके जनता तक सीधे सूचनाएं पहंुचाने का माध्यम दिया है। इस एप पर प्रत्याशी के नामांकन के साथ ही उसका रिकार्ड अपलोड हो जाएगा।
वोटर हेल्पलाइन एप से मतदाता सूची में अपना नाम, प्रत्याशी के नामांकन एवं अन्य चुनाव सम्बन्धी जानकारी लोगों को उनके स्मार्टफोन से मिल सकती है। पीडब्ल्यूडी एप pwd विशेष तौर ऐसे लोगों के लिए बनाया गया है जो दिव्यांगो की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए है। इस एप के जरिए दिव्यांग मतदाता पंजीकरण का आवेदन, पता बदलवाने अन्य कोई बदलाव करने या बूथ तक जाने के लिए अपने आप को दिव्यांग बताने के लिए कर सकते हैं। उन्हें सिर्फ अपना कॉन्टैक्ट डिटेल देना होगा जिसमें पहली बार वोट देने जा रहे लोगों को अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, राज्य, जिला, निर्वाचन क्षेत्र डालना होगा। पहले से बने वोटर आईडी के टॉप पर दिए गए मतदाता परिचय पत्र का नंबर डालना होगा। इससे बूथ लेवल ऑफिसर मतदान हेतु आवश्यक सुविधाएं व्हील चेयर आदि उनके दरवाजे पर प्रदान कराएगा।
यह सभी एप गूगल प्लेस्टोर से फ्री में डाउनलोड किये जा सकते हैं। दिव्यांग मतदाता को निर्वाचन आयोग परिवहन भी उपलब्ध करायेगा यदि पहले से एप में जानकारी दे दी जाती है। निर्वाचन आयोग के इन एप का उपयोग सर्वाधिक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की ही सर्वाधिक युवा पीढ़ी कर सकेगी जो इनके इस्तेमाल करने में आगे है। इसके माध्यम से वह दूसरे मतदाताओं को सूचना देने और मदद करने का काम भी कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता जब एप नहीं थे, ईवीएम वीवीपैट नहीं थी बैलेट पेपर से वोट पड़ते थे तब भी अधिक संख्या में मतदान के लिए बूथों पर जाते थे।
इन एप के माध्यम से उन वोटरों को भी मतदान बूथ तक लाने में मदद मिलेगी जो किसी न किसी बहाने से मतदान से दूर रहते थे। उन्हें अपनी मतदाता सूची में नाम ढूंढना सबसे मुश्किल काम लगता था। कौन जाये भीड़ में अपना नाम ढूंढने लाइन में लगने समय बरबाद करने। वहीं ऐसे मतदाता भी हैं जो वोट देने के लिए प्रेरित करने वाले को कहते हैं वोट दै के हमें का मिली, ऐसे लोग रामचरित मानस की चौपाई सुना देते हैं कोउ नृप होय,हमै का हानी। चेरि छाँड़ि न ,होबै रानी।‘ यह सब अपवाद स्वरूप हो सकते हैं। वास्तव में चुनावी परिस्थितियां भी इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है जिसके कारण मतदाता बूथ तक पहंुच पाता है। निश्चित रूप से जिस तरह प्रत्येक चुनाव में तकनीक का प्रयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह तकनीक नयी उम्र के वोटरों को अधिक लुभाने का काम करेगी और अन्यों को सहूलियत मुहैया करायेगी। मतदाताओं को सहूलियतें उनकी उंगली की टिप्स पर आ जाने से वे अपने नाम, बूथ तक जाने को आसान बना सकेंगें।
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