उच्च शिक्षा संस्थान (एचईआई) देश के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और तकनीकी प्रगति को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। नीति का विशेष ध्यान मौजूदा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को सुदृढ़ बनाना और उन्हें ऐसे संस्थानों के रूप में परिवर्तित करना है, जो जीवंत और बेहतर संसाधनों से युक्त हों तथा जहां विभिन्न विषयों व क्षेत्रों के लिए विशिष्ट संस्थान हों। नीति का विशेष जोर संज्ञानात्मक व विश्लेषणात्मक कौशल के विकास, विषयों का गहराई से अध्ययन, एक विषय से दूसरे विषय तथा एक विषय के विभिन्न उप शाखाओं में अध्ययन करने के अवसर, विकल्प आधारित मूल्यांकन संरचना एवं शिक्षार्थी केन्द्रित शिक्षा व्यवस्था पर है, जो हमारे छात्रों के लिए समग्र शैक्षणिक अनुभव सुनिश्चित कर सकता है। ऐसी बहु-विषयक शिक्षा-व्यवस्था, जो केवल विषयों को रटने पर आधारित नहीं है, बल्कि रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है। नई शिक्षा-व्यवस्था हमारी युवा-पीढ़ी को सशक्त बना सकती है।
उल्लेखनीय है कि पाठ्यक्रम में विषय चयन की छूट, अध्ययन के विषयों में रचनात्मक संयोजन, क्रेडिट प्वाइंट सिस्टम, दो डिग्री पाठ्यक्रम, एकीकृत 5-वर्षीय पाठ्यक्रम, स्नातक-पूर्व अध्ययन के दौरान कला और मानविकी विषय के संदर्भ में स्नातक-पूर्व और स्नातक पाठ्यक्रमों से संबंधित ऐसी कई सिफारिशें इस नीति में की गई हैं जिन पर पहले से ही आईआईटी में अमल किया जा रहा है। हमारे विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में विषय चयन की छूट और विकल्प आधारित क्रेडिट शुरू करने की दिशा में मंत्रालय ने ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ की शुरुआत की है। ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ की शुरुआत छात्रों को विभिन्न संस्थानों में प्रवेश लेने में सक्षम करने, अपनी पढ़ाई पूरी करने का रास्ता स्वयं चुनने और विभिन्न पाठ्यक्रमों में एक से अधिक बार प्रवेश लेने एवं उनसे निकलने का विकल्प देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे उनके लिए अब अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी डिग्री पूरी करना संभव हो गया है। इसमें क्रेडिट को आसानी से ट्रांसफर करने की सुविधा भी दी गई है और यहां तक कि ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए भी क्रेडिट की सुविधा दी गई है। ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ उच्च शिक्षा में विषय चयन की छूट प्रदान करने की दिशा में एक अभूतपूर्व सुधार है।
दुनिया के अधिकतर शीर्ष विश्वविद्यालय अपना ध्यान काफी हद तक अनुसंधान और ज्ञान सृजन पर केंद्रित करते हैं। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) स्थापित करने की प्रस्तावित योजना एक प्रगतिशील कदम है जिससे भारत में अनुसंधान एवं नवाचार से जुड़ा समग्र परिवेश और मजबूत होगा। किसी भी देश के सतत विकास में अनुसंधान और नवाचार का विशेष महत्व होता है। एनआरएफ शिक्षा जगत में किए जा रहे अनुसंधान को उद्योग और सरकार की जरूरतों के अनुरूप बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है जिससे राष्ट्रीय महत्व वाले अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना संभव हो जाएगा। आईआईटी कानपुर में नवाचार और इन्क्यूबेशन के लिए अत्यंत अनुकूल माहौल है। हाल ही में इस संस्थान ने ‘विद्यार्थी उद्यमिता नीति’ को लागू करके एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है जो हमारे छात्रों के लिए अब नए और उत्कृष्ट प्रतिमान संभव करता है। इस संस्थान ने ‘नवाचार और उद्यमिता’ क्रेडिट की एक अनूठी प्रणाली शुरू करके छात्रों को नवाचार और उद्यमिता संबंधी गतिविधियों से सार्थक रूप से जुड़ने का बहुमूल्य अवसर प्रदान किया है।
एनईपी में तकनीकी शिक्षा और अन्य विषयों के बीच के अंतर को दूर करने पर विशेष जोर दिया गया है क्योंकि अंततः तो स्वच्छ जल, हवा, किफायती चिकित्सा, अक्षय ऊर्जा, आवास एवं बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, परिवहन, डिजिटल सशक्तिकरण जैसी आपात सामाजिक चुनौतियों के समाधान विज्ञान, इंजीनियरिंग, मानविकी, प्रबंधन और अन्य विषयों के सटीक संयोजन से ही संभव हो पाएंगे। तकनीक की मदद से चिकित्सा के क्षेत्र में कितनी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, इसे उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि इंजीनियरिंग और चिकित्सा को साथ मिलाकर होने वाले अंतर-विषयक अनुसंधान हमारी आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और आगे ले जाएंगे। आईआईटी कानपुर की विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अत्यंत मजबूत बुनियाद है और इसी आधार पर यह संस्थान चिकित्सा विज्ञान में आधुनिक अनुसंधान का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आईआईटी कानपुर द्वारा स्थापित किया जा रहा स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी सारे विषयों को संजोते हुए आईआईटी कानपुर के संकायों का संगम होगा। यह एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल की बुनियाद पर बनाया जा रहा है और इस अस्पताल के प्रमुख नैदानिक विभागों के साथ मिलकर कई उत्कृष्टता केंद्र काम कर रहे हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आजीवन सीखने के अवसर को सबके लिए सुलभ बनाते हुए अगले 10 वर्षों की अवधि में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 4 (एसडीजी4) को हासिल करने के अपने विजन में भी यह एनईपी की रूपरेखा अत्यंत उल्लेखनीय है और सभी को गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए कई स्तरों पर तकनीक के इस्तेमाल एवं उसके एकीकरण के जरिए इसे हासिल किया जा सकता है। कुछ हद तक कोविड-19 महामारी की स्थिति ने पठन-पाठन के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है और प्रभावशाली शिक्षा प्रदान करने में सबसे असरदार सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) को अपनाने एवं उन्हें विकसित करने का अवसर प्रदान किया है।
मंत्रालय द्वारा स्थापित किए जा रहे राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) से स्कूल और उच्च शिक्षा, दोनों में नवीनतम तकनीक के उपयोग के बारे में विचार-विमर्श और विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा और सभी हितधारकों से परामर्श करने और उनके साथ सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को साझा करने का अवसर प्रदान करने की उम्मीद है। हाल के वर्षों में, शैक्षिक प्रौद्योगिकियों से जुड़े उपकरणों और मंचों [एजुकेशनल टेक्नोलॉजीज (एडटेक) टूल्स एंड प्लेटफॉर्म] के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एनईटीएफ ऑनलाइन शिक्षा को सुव्यवस्थित करने और उसे मानक बनाने में मददगार साबित हो सकता है। तकनीकी उपायों पर जोर देने से स्टार्ट-अप के लिए भी ढेर सारे अवसर खुलेंगे। जैसा कि सीएफटीआई के प्रमुखों को दिए गए संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जोर दिया है, हमारे पास बड़ी आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराने के लिए वर्चुअल विश्वविद्यालय स्थापित करने का एक अवसर है। आईआईटी कानपुर ने ई-मास्टर्स पाठ्यक्रम का शुभारंभ करके उद्योग जगत के पेशेवरों के कौशल को उन्नत करने का बीड़ा उठाया है।
भारतीय उच्च शिक्षा दूरगामी परिवर्तन के शिखर पर है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, बहु-विषयक विश्वविद्यालयों, ऑनलाइन डिग्री पाठ्यक्रमों आदि की शुरुआत से सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुलभ बनाने की दिशा में एक दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
निदेशक, आईआईटी कानपुर
अभय करंदीकर
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