*6 घंटे बाद समाप्त हुआ जौनपुर जेल में शुरू हुआ बवाल*
*कैदी की मौत से आक्रोशित बंदियों ने फूंका अस्पताल*
✍️संवाददाता
शिव कुमार प्रजापति
जौनपुर
जौनपुर जिला कारागार में निरुद्ध दोहरा आजीवन कारावास पाए कैदी बागेश मिश्र की शुक्रवार को दोपहर में मौत हो गई थी ,
जिला कारागार में निरुद्ध दोहरा आजीवन कारावास पाए कैदी बागेश मिश्र उर्फ सरपंच की शुक्रवार को दोपहर में मौत हो गई। खबर लगने पर इलाज में उदासीनता बरते जाने का आरोप लगाते हुए आक्रोशित हुए सैकड़ों बंदियों ने बैरकों से बाहर आकर जेल पर कब्जा कर घंटों आगजनी व पथराव किया। जेल के अस्पताल को फूंकने के साथ ही आसपास पड़े फर्नीचर को भी जला दिया। इसके साथ ही जमकर पथराव किया। इसमें कुछ बंदियों के साथ ही कई पुलिस भी जख्मी हो गए। छावनी में तब्दील जेल के बाहर सुरक्षा बल हवाई फायरिग करने के साथ आंसू गैस के गोले दागते रहे, लेकिन बंदी पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। लगभग आठ घंटे बाद बंदियों का आक्रोश कम होने पर अंदर पहुंचे अधिकारियों से वार्ता शुरू हुई।
मृतक रामपुर थाना क्षेत्र के बनीडीह गांव निवासी 42 वर्षीय पूर्व बीडीसी सदस्य बागेश मिश्र पांच जनवरी से जेल में निरुद्ध थे। जिला अदालत ने हत्या व अनुसूचित जाति उत्पीड़न निवारण एक्ट में दोहरा आजीवन कारावास से दंडित किया था। बागेश मिश्र को काफी समय से मधुमेह के साथ ही सांस संबंधी बीमारी थी। गुरुवार की रात दस बजे जेल अस्पताल में लो बीपी, हाई शूगर तथा सांस की समस्या होने पर भर्ती कर इलाज किया जा रहा था।जहा मौत हो गई थी ।
शुक्रवार को दोपहर लगभग एक बजे सीने में दर्द व सांस फूलने पर हालत नाजुक देखते हुए जेल प्रशासन ने स्वजन को सूचना देने के साथ ही जिला चिकित्सालय पहुंचाया। वहां डाक्टरों ने देखते ही मृत घोषित कर दिया। मृतक की पत्नी कुसुम मिश्रा ग्रामसभा बनीडीह की प्रधान हैं। उनके भाई अनिल कुमार मिश्र ने बीमारी की पुष्टि करते हुए जेल प्रशासन पर इलाज में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया। बागेश मिश्र की मौत की खबर लगते ही सैकड़ों की संख्या में बंदी उग्र हो गए और बैरकों से बाहर आकर बवाल काटने लगे।
पाकशाला से सिलेंडर लेकर गेट नंबर तीन के भीतर मंदिर व पेड़ों पर चढ़ गए। जेल अधीक्षक एसके पांडेय की सूचना पर डीएम मनीष कुमार वर्मा, एसपी राजकरन नय्यर भारी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों के साथ पहंच गए। ड्रोन से बंदियों की गतिविधियों की निगरानी करने के साथ ही दमकल गाड़ियों को बुला लिया। शाम करीब छह बजे जेलर राज कुमार ने ध्वनि विस्तारक से बंदियों को संदेश दिया कि उच्चाधिकारी मौके पर मौजूद हैं। उनकी शिकायतें सुनने व निराकरण को तैयार हैं। वे शांति का रास्ता अपनाएं और वार्ता करें।
करीब पौने सात बजे वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, आइजी एसके भगत और डीआइजी जेल अरविद सिंह भी आ गए। इन अधिकारियों ने भी समझाने की कोशिश की, लेकिन बंदी नहीं माने। रात साढ़े आठ बजे सभी अधिकारी अंदर गए और बंदियों से वार्ता शुरू हुई। नौ बजे तक वार्ता जारी रही।
एसके भगत आईजी ने पत्रकारों को बताया कि ----------------------- जेल में स्थिति नियंत्रण में है। आक्रोशित बंदियों की मांगों को नोट कर लिया गया है। उनका आरोप रहा कि जेल के चिकित्सक की लापरवाही के चलते बागेश मिश्र की मौत हुई है। इनके स्वजनों व बंदियों की बातों को सुनकर आश्वासन दिया गया है कि अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होती है तो चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आगजनी में विशेष नुकसान नहीं हुआ है। अपनी सुरक्षा को लेकर बंदियों ने आगजनी की थी। बंदियों के दो गुट में बंटे होने के चलते स्थिति को नियंत्रित करने में थोड़ी देर हुई, हालांकि अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रित है। डीएम व एसपी अभी कैंप किए हुए हैं।जौनपुर जेल में अभी कुछ दिनों पहले भी कैदी की मौत की खबर बाहर आने पर उच्च अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए थे परंतु कुछ तो है जिसे जल्दी सुधारना चाहिए ।
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