*कोरोना योद्धा सम्मान से पत्रकार वंचित क्यों ?*

*कोरोना से पीडित पत्रकार की मौत पर परिजनों को मिले 50 लाख की आर्थिक सहायता*

   ✍️संवाददाता
शिव कुमार प्रजापति
   जनपद जौनपुर

वैश्विक महामारी कोविड-19 कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश मे हाहाकार मचा रखा है। हर प्रदेश इस महामारी के संक्रमण से जूझ रहा है। ऐसे में इस संक्रमण से पत्रकार साथी भी अछूते नहीं रहे है। अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कार्यों को अंजाम देने के दौरान हमारे कई पत्रकार साथी इस संक्रमण की चपेट में आकर अपने प्राण गवां चुके हैं। अनेकों साथी वर्तमान समय में इस संक्रमण की चपेट में हैं लेकिन कोई भी अपने दायित्व से पीछे नहीं हट रहा है। आम जनमानस को सच्चाई से दिन प्रतिदिन की घटनाओं से अवगत कराना पत्रकारिता का धर्म है और हमारे पत्रकार साथी अपने जान को जोखिम में डालकर इस धर्म को बखुबी निभा रहे हैं फिर भी इसके बावजूद पत्रकार साथियों को कोरोना योद्धा नहीं समझा जा रहा है।

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने देश के माननीय प्रधानमंत्री  के साथ ही साथ प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है और करता है कि वह भी पत्रकार साथियों को कोरोना योद्धा का सम्मान दे, जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। साथ ही साथ जिन पत्रकार साथियों ने इस महामारी के दौरान अपना जीवन गवां दिया है, उनके परिजनों को भी कोरोना योद्धाओं के समान 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये ताकि उनके परिवारों का भरण पोषण हो सके और उनके परिवार सड़क पर आने से बच जायें।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से हर कोई प्रभावित है, ऐसे में पत्रकारों व उनके परिजनों के लिए भी अस्पतालों मे बेड आरक्षित होने चाहिए और इस दौरान उनका इलाज मुफ्त होना चाहिए। अपने धर्म का निर्वाहन करने वाले पत्रकार के लिए  राज्य के सभी सरकारी अस्पतालो व कोविड सेंटर मे कम से कम  दो बेड मीडिया कर्मियों के नाम से रिजर्व रखने की जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया मांग करती है। मीडिया कर्मी कोरोना योद्धा के रूप मे पत्रकारिता धर्म का पालन कर रहे है। मीडिया कर्मी 24 घंटे अपनी जान की बाजी लगाकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे है। लगातार 24 घंटे फील्ड  मे रहने के कारण बहुत से मीडिया कर्मी कोरोना की चपेट मे आ रहे हैं ऐसी स्थिति में राज्य सरकार राजधर्म का पालन करते हुए मीडिया कर्मियों एव उनके परिवारों के प्रति सह्रदयता दर्शाए। जरूरत मंद मीडिया कर्मी एवं उनके परिजनों को कोरोना की चपेट मे आने पर उपचार के लिए भटकना नहीं पड़े। इसलिए राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में कम से कम दो बेड 24 घंटे रिजर्व रखने का निर्देश जारी करें।
अतः सरकार का भी दायित्व है कि वह मीडिया कर्मियों एवं उनके परिजनों के प्रति विशेष सतर्कता बरते जिससे किसी मीडिया कर्मी को उपचार के अभाव मे काल के मुहं में ना चले जाये।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की तरफ से केवल मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए ही घोषणाएं की जाती है क्या श्रमजीवी पत्रकार,ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े पत्रकार,डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार,पत्रकार नहीं हैं। यह सरकार का दायित्व है कि सरकार सभी पत्रकारों को ध्यान में रखकर एकसमान रूप से सभी को देखें।
उल्लेखनीय है कि इस कोरोना महामारी का पत्रकारिता के संस्थानों की आय पर भी प्रभाव पड़ा है जिसके चलते कई संस्थानों के पत्रकारों को मिलने वाला मानदेय/वेतन भी सुचारू रूप से नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सरकार का दायित्व है कि वह पत्रकारों की स्थिति को ध्यान मे रखकर उनकी मनःस्थिति को समझते हुए ठोस कदम उठाये ताकि वर्तमान समय का पत्रकार इस भीषण महामारी के दौरान भी अपने दायित्वों का निर्वहन राष्ट्र हित में कर सके। वैश्विक महामारी कोविड-19 यह एक गहरा संकट है

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