151 लाख रुपये की लागत से खड़े ढांचे का 15 साल बाद भी कोई मालिक नहीं है। यह सुनने में अटपटा जरूर लग रहा लेकिन है सोलह आने सच।
151 लाख रुपये की लागत से खड़े ढांचे का 15 साल बाद भी कोई मालिक नहीं है। यह सुनने में अटपटा जरूर लग रहा, लेकिन है सोलह आने सच। नगर के राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में अधूरा भवन कहने को राजकीय महिला डिग्री कालेज का है, लेकिन कहीं लिखा-पढ़ी में नहीं है। भवन के लिए महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय सम विकास से 3.25 करोड़ रुपये अवमुक्त किया गया था, जो बंदरबांट की भेंट चढ़ गया। इसका कोई हाल-खबर लेने वाला नहीं है।
समाजवादी पार्टी की सरकार में तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग यादव ने वर्ष 2005-06 में केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत 3.25 करोड़ रुपये राजकीय महिला डिग्री कालेज के भवन के नाम स्वीकृत किया था। इससे तीन मंजिला विद्यालय भवन बनना था। इसमें से प्रथम किश्त दो करोड़ 42 लाख 16 हजार रुपये अवमुक्त हो गए थे। राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में कार्यदायी संस्था डूडा ने निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। दो साल में 1.51 करोड़ लागत से ढांचा खड़ा कर काम रोक दिया गया। ठेकेदार का कहना था कि लागत अधिक आ रही है। इसी दौरान सत्ता परिवर्तन के साथ ही डीएम का भी स्थानांतरण हो गया। पांच साल बाद पुन: सपा सरकार के पदारूढ़ होने के बाद लोगों में उम्मीद जगी कि बेटियों को गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षा देने का सपना साकार होगा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। पूर्ण बहुमत वाली सरकार में कई बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के मुखिया मुलायम समेत कई बड़े नेता जनपद में आए लेकिन कार्यकाल भी खत्म हो गया, किसी ने इस ओर पलट कर नहीं देखा। मौखिक आश्वासन पर शुरू हो गया था निर्मान
जौनपुर: राजकीय महिला डिग्री कालेज के लिए शासन से स्वीकृति ही नहीं मिली है। तत्कालीन मुख्यमंत्री के मौखिक आश्वासन पर बिना प्रक्रिया पूरी किए ही निर्माण शुरू कर दिया गया था। केंद्रीय विद्यालय की पहल भी ठंडे बस्ते में
जौनपुर: डेढ़ दशक से खड़े ढांचे का सदुपयोग करने के लिए जिलाधिकारी डा. बलकार सिंह ने पहल शुरू की थी। कई साल से स्वीकृत केंद्रीय विद्यालय का भवन बनने से यहां कक्षाएं संचालित करने के लिए पहल तेज हो गई थी। उनकी पहल पर कार्यदायी संस्था ने बची लगभग एक करोड़ की धनराशि से खिड़की, दरवाजा, फर्श, वायरिग आदि का कार्य भी शुरू कर दिया था, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद फिर काम ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
भवन का निर्माण तीन साल पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी डा. बलकार सिंह की पहल पर शुरू किया गया था। उनके स्थानांतरण के बाद कार्य रुक गया। नए जिलाधिकारी के समक्ष मामले को रखा जाएगा।
✍️शिव कुमार प्रजापति
जौनपुर
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